प्रयागराज में इस बार महाकुंभ 2025 आयोजित हो रहा है. जनवरी 13 से महाकुंभ मेले का आगाज होने जा रहा है. संगम की पावन धरा पर नागा साधु-संतों के पहुंचने का भी सिलसिला शुरू हो गया है. इस बार का महाकुंभ भव्य होने जा है.
महाकुंभ में सबसे खास आकर्षण अखाड़ों की धर्मध्वजाएं हैं. 13 अखाड़ों की धर्म ध्वजाएं सबका ध्यान आकर्षित कर रही हैं.
ये धर्मध्वजाएं अखाड़ों की आन, बान और शान का प्रतीक हैं. विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार से पूजा अर्चना के बाद धर्म ध्वजा स्थापित की जा चुकी हैं. किसी भी परिस्थिति में धर्मध्वजा का झुकना अखाड़ों द्वारा अस्वीकार्य है.
अखाड़े कुंभ की शान माने जाते हैं क्योंकि य हां साधु संतों के अनेक रूप नजर आते हैं. इन्ही आखाड़ों में लहराती ये धर्म ध्वजा उनके वर्चस्व, प्रतिष्ठा, बल और इष्टदेव का प्रतीक मानी जाती है.
“ध्वजा” शब्द का अर्थ है निरंतर गति और ध्वनि करने वाला. यह धर्म, वर्चस्व, और अखाड़ों के इष्टदेव का प्रतीक है.
अखाड़ों जूना अखाड़ा: 52 हाथ ऊंची भगवा ध्वजा, मढ़ियों का प्रतीक
निरंजनी अखाड़ा: 52 बंधों वाली ध्वजा, दशनामी मढ़ियों का संकेत है. इसके अलावा महानिर्वाणी, अटल और आनंद अखाड़ेः चारों दिशाओं में बंधी भगवा पताका है,
वैष्णव अखाड़ों की धर्मध्वजाओं के रंग और प्रतीक के अलावा
निर्वाणी अनी अखाड़ा: लाल रंग की ध्वजा, पश्चिम दिशा का प्रतीक है.
महानिर्वाणी और अटल अखाड़े में धर्म ध्वजा के साथ ही पर्व ध्वजा भी स्थापित किए जाने की परंपरा है.
निर्मोही अनी अखाड़ाः सुनहरी पताका, शुभता और पूरब दिशा का प्रतीक है.
इसके अलावा दिगंबर अनी अखाड़ाः पंचरंगी ध्वजा, दक्षिण दिशा और अंगद का प्रतीक है.
निर्मल अखाड़ाः पीली ध्वजा, पंजाबी पद्धति का अनुसरण.नया पंचायती अखाड़ाः मोरपंख वाली पताका, भगवान विष्णु का प्रतीक है. अखाड़े में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए जाएंगे. धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद चूल्हा जलता है और कराहे चढ़ाए जाते हैं.
हिंदू धर्म की आस्था, परंपरा और संस्कृति का धार्मिक ध्वज प्रतीक है./GW/